Old Pension Scheme News – अगर आप उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षक हैं और लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली की उम्मीद कर रहे थे, तो आपके लिए अब खुश होने का समय आ गया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी है और इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है, जिससे 30 दिसंबर 2000 से पहले नियुक्त तदर्थ शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
यह फैसला करीब 1081 तदर्थ शिक्षकों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जो सालों से न्याय के लिए लड़ रहे थे। अब उन्हें भी वो पेंशन और सुविधाएं मिलेंगी, जो एक नियमित शिक्षक को मिलती हैं।
क्या है पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 30 दिसंबर 2000 से पहले नियुक्त करीब 1081 तदर्थ शिक्षक ऐसे हैं, जिनकी नियुक्ति तो नियमित शिक्षकों की तरह हुई थी, लेकिन उन्हें पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा था।
साल 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह साफ किया था कि इन शिक्षकों को चयन और पदोन्नति वेतनमान के साथ-साथ पुरानी पेंशन योजना का लाभ भी मिलना चाहिए। लेकिन राज्य सरकार ने इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर कर दी थी।
16 जून 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने यह याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और राज्य सरकार को साफ संदेश दिया कि इन शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना से वंचित नहीं रखा जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्यों है खास?
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इसलिए भी खास है क्योंकि यह सिर्फ एक राज्य के शिक्षकों तक सीमित नहीं रहेगा। यह एक नज़ीर बन सकता है, जिसके आधार पर देशभर के अन्य कर्मचारी भी अपने हक की लड़ाई को मजबूती से आगे बढ़ा सकते हैं।
कौन होंगे इस फैसले से लाभान्वित?
- वे सभी शिक्षक जो 30 दिसंबर 2000 से पहले तदर्थ रूप से नियुक्त हुए थे।
- जिनका चयन नियमित प्रक्रिया के तहत हुआ था।
- जिनकी सेवाएं बाद में नियमित कर दी गई थीं।
- वे शिक्षक जिनके खिलाफ 9 नवंबर 2023 को सेवा समाप्ति का आदेश जारी किया गया था – अब वह आदेश रद्द कर दिया गया है।
सरकार की गलती और न्याय की जीत
एक ओर जहां उच्च न्यायालय ने पहले ही शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया था, वहीं दूसरी ओर सरकार ने सेवा समाप्ति जैसा कठोर निर्णय लिया। लेकिन इस बार न्यायपालिका ने साफ कर दिया कि यदि कोई शिक्षक योग्य है, कार्यरत है और सभी नियमों के अनुरूप नियुक्त हुआ है तो उसे उसका हक मिलना ही चाहिए।
क्या बदल रहा है अब?
- पुरानी पेंशन स्कीम लागू होगी
अब इन शिक्षकों को नई पेंशन योजना की बजाय पुरानी पेंशन योजना के तहत लाभ मिलेगा, जिसमें पेंशन की गारंटी और महंगाई भत्ते की सुविधा शामिल है। - सेवा समाप्ति आदेश रद्द
हाईकोर्ट ने 9 नवंबर 2023 को जारी सेवा समाप्ति के आदेश को अवैध करार देते हुए निरस्त कर दिया है। - ऑनलाइन स्थानांतरण प्रणाली
सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में स्थानांतरण अब केवल ऑनलाइन माध्यम से होगा। ऑफलाइन प्रक्रिया को समाप्त किया जा रहा है।
शिक्षकों में जश्न का माहौल
इस फैसले के बाद शिक्षक संघों और कर्मचारियों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई है। कई शिक्षकों ने कहा कि उन्होंने सालों तक इस फैसले का इंतजार किया और अब उन्हें लगता है कि उनकी मेहनत रंग लाई है।
आगे की राह
अब जब सुप्रीम कोर्ट ने भी शिक्षकों के पक्ष में फैसला दे दिया है, तो राज्य सरकार के पास कोई विकल्प नहीं बचता। उसे अब इन शिक्षकों को न केवल बहाल करना होगा, बल्कि पुरानी पेंशन योजना के सभी लाभ भी देने होंगे। साथ ही इस फैसले को जल्द से जल्द जमीनी स्तर पर लागू करना भी जरूरी होगा।
क्या कहता है शिक्षा विभाग?
सूत्रों के मुताबिक, माध्यमिक शिक्षा विभाग भी अब ऑनलाइन स्थानांतरण और शिक्षकों के दस्तावेजों की डिजिटल वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पर जोर दे रहा है ताकि आगे किसी भी तरह का विवाद या गलती न हो। इस साल ऑफलाइन आवेदन को रद्द करने की तैयारी चल रही है और केवल ऑनलाइन सिस्टम से स्थानांतरण प्रक्रिया पूरी होगी।
पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर शिक्षकों की लड़ाई आखिरकार रंग लाई है। यह सिर्फ एक फैसले की जीत नहीं है, बल्कि यह उस भरोसे की जीत है जो कर्मचारियों को देश की न्याय व्यवस्था पर है।
अब जरूरत है कि सरकार इस फैसले को पूरे ईमानदारी से लागू करे और शिक्षकों को वह सम्मान दे जिसकी वो वर्षों से हकदार थे।
अगर आप भी शिक्षक हैं और इस फैसले से प्रभावित हो सकते हैं, तो अपने दस्तावेजों को अपडेट रखें और पेंशन से जुड़ी हर सूचना के लिए शिक्षा विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर नजर बनाए रखें।