School Holiday News – गर्मी की छुट्टियां चल रही हैं, और बच्चों के साथ-साथ पैरेंट्स भी सोचते हैं कि कुछ दिनों की राहत मिल गई है। लेकिन अब पढ़ाई से जुड़े एक बड़े बदलाव ने छुट्टियों के माहौल में एक नया मोड़ ला दिया है। पंजाब राज्य शिक्षा बोर्ड ने 6वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए बाईमंथली टेस्ट कराने का आदेश जारी किया है। ये टेस्ट 10 जुलाई 2025 से 19 जुलाई 2025 तक ऑफलाइन मोड में लिए जाएंगे।
अब आप सोच रहे होंगे – गर्मी की छुट्टियों में टेस्ट? जी हां, इस फैसले से बच्चों की पढ़ाई में आई छुट्टियों की सुस्ती को खत्म करने का प्रयास किया गया है, ताकि स्कूल खुलते ही पढ़ाई का माहौल फिर से बन सके। आइए इस पूरी व्यवस्था को विस्तार से और आसान भाषा में समझते हैं।
क्या है ये बाईमंथली टेस्ट?
बाईमंथली टेस्ट यानी दो महीने के अंतराल पर होने वाली एक छोटी परीक्षा। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि बच्चे हर दो महीने में अपने सीखे गए विषयों का रिविजन करें और यह भी जान सकें कि उन्हें क्या आता है और किसमें सुधार की ज़रूरत है। यह बोर्ड परीक्षा जैसा दबाव नहीं होता, बल्कि हल्का-फुल्का मूल्यांकन होता है।
मुख्य बातें:
- टेस्ट की तारीख: 10 जुलाई से 19 जुलाई 2025
- मोड: ऑफलाइन
- क्लास: 6वीं से 12वीं तक
- कुल अंक: 20
- अवधि: संबंधित विषय के पीरियड में ही टेस्ट लिया जाएगा
कक्षा 6वीं से 8वीं तक के लिए क्या बदलाव है?
कक्षा 6, 7 और 8 के बच्चों के लिए तीन प्रमुख विषयों पर फोकस रहेगा – पंजाबी, अंग्रेज़ी और गणित। इन विषयों का टेस्ट जुलाई महीने में “मिशन समर्थ योजना” के तहत पढ़ाए गए टॉपिक्स पर आधारित होगा। यानी जो कंटेंट इस योजना के अंतर्गत बच्चों को सिखाया गया है, उसी से सवाल पूछे जाएंगे।
अन्य विषयों के लिए टेस्ट अप्रैल और मई में पढ़ाए गए पाठ्यक्रम पर आधारित होंगे। यह तय किया गया है कि छात्र गर्मियों की छुट्टियों में बिल्कुल भी पढ़ाई से दूर न हो जाएं और लगातार एक्टिव रहें।
कक्षा 9वीं से 12वीं तक के लिए क्या है खास?
बड़े बच्चों यानी 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए भी टेस्ट की तैयारी की गई है, लेकिन उनके टेस्ट केवल अप्रैल और मई के सिलेबस पर आधारित होंगे। इसका मतलब है कि जो टॉपिक्स पहले ही पढ़ा दिए गए हैं, उन्हीं पर सवाल पूछे जाएंगे।
इससे यह फायदा होगा कि बच्चों को दोबारा वही विषय रिवाइज करना होगा और शिक्षक यह जांच सकेंगे कि उन्हें कितना समझ में आया।
टेस्ट कैसे लिए जाएंगे?
- परीक्षा की जिम्मेदारी स्कूल प्रमुख यानी प्रिंसिपल की होगी।
- प्रश्न पत्र संबंधित विषयों के अध्यापक ही तैयार करेंगे।
- टेस्ट उसी पीरियड में लिया जाएगा जिसमें वह विषय पढ़ाया जाता है, जिससे छात्रों पर कोई अतिरिक्त बोझ न पड़े।
- बच्चों की उत्तर पुस्तिकाएं शिक्षक जांच कर रिपोर्ट तैयार करेंगे।
इस प्रक्रिया को आसान, बिना तनाव के और रोजमर्रा की पढ़ाई के माहौल में करवाने की योजना है।
बच्चों और पैरेंट्स के लिए क्यों जरूरी है ये टेस्ट?
गर्मी की छुट्टियों में ज्यादातर बच्चे पढ़ाई से थोड़े दूर हो जाते हैं। मोबाइल, टीवी और घूमने-फिरने में समय निकल जाता है। ऐसे में स्कूल खुलने पर पढ़ाई की पकड़ ढीली पड़ जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह टेस्ट रखा गया है, ताकि:
- बच्चों की पढ़ाई की निरंतरता बनी रहे
- पैरेंट्स को भी पता चले कि उनके बच्चे कहां तक तैयार हैं
- शिक्षक सही समय पर सुधार कर सकें
- छात्र आगे के सिलेबस के लिए मेंटली तैयार हो जाएं
क्या पैरेंट्स को करना होगा कुछ खास?
बिल्कुल। पैरेंट्स की भूमिका इस बदलाव में सबसे अहम है। बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि यह कोई बड़ा एग्जाम नहीं बल्कि एक फीडबैक सिस्टम है, जिससे पता चलता है कि वे पढ़ाई में कहां खड़े हैं। उन्हें टेस्ट को लेकर डराने की बजाय प्रेरित करना चाहिए कि वे आराम से तैयारी करें और मन लगाकर पेपर दें।
साथ ही पैरेंट्स को स्कूल से संपर्क में रहकर यह जानकारी लेनी चाहिए कि डेटशीट क्या है और टेस्ट किन विषयों के लिए कब होंगे।
क्या यह व्यवस्था पूरे राज्य में लागू है?
जी हां, यह फैसला पंजाब राज्य शिक्षा बोर्ड ने सभी सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों के लिए लागू किया है। हालांकि, हर स्कूल अपने स्तर पर डेटशीट बना सकता है, ताकि टेस्ट स्कूल की शैक्षणिक गतिविधियों के साथ सामंजस्य में हो।
मिशन समर्थ योजना क्या है?
“मिशन समर्थ” पंजाब सरकार की एक शैक्षणिक पहल है जिसका उद्देश्य छात्रों के मूलभूत ज्ञान और विषयों की समझ को मजबूत करना है। इसके तहत खासकर 6वीं से 8वीं तक के बच्चों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसी योजना के तहत जुलाई के कंटेंट पर आधारित टेस्ट रखा गया है।
गर्मी की छुट्टियों के बीच स्कूलों में बाईमंथली टेस्ट की व्यवस्था भले ही थोड़ी नई लगे, लेकिन इसका मकसद बच्चों की पढ़ाई को मजबूती देना है। इससे न सिर्फ छात्रों को पढ़ाई की आदत बनी रहेगी, बल्कि शिक्षकों और पैरेंट्स को भी यह जानने का मौका मिलेगा कि बच्चा किन विषयों में बेहतर है और कहां सुधार की जरूरत है।
तो अगर आप विद्यार्थी हैं या किसी विद्यार्थी के माता-पिता हैं, तो इस टेस्ट को एक मौके के रूप में देखें – जिसमें दबाव नहीं है, बल्कि सीखने और खुद को बेहतर करने का एक मौका है।