Contract Employees Regularization News – अगर आप भी लंबे समय से संविदा पर काम कर रहे हैं और इस बात की चिंता में हैं कि कब तक ऐसी ही अनिश्चित नौकरी में रहना पड़ेगा, तो आपके लिए बहुत बड़ी खुशखबरी आई है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने संविदा यानी कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को लेकर ऐसा फैसला सुनाया है, जो आने वाले वक्त में देशभर के लाखों कर्मचारियों के लिए उम्मीद की किरण बन सकता है।
क्या है कोर्ट का फैसला?
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर कोई संविदा कर्मचारी लगातार 10 साल तक सेवा में रहा है, तो उसे रेगुलर (परमानेंट) कर्मचारी के तौर पर माना जाएगा और उसी दिन से उसकी सेवा नियमित मानी जाएगी, जिस दिन उसकी 10 साल की सेवा पूरी हुई हो।
इससे न सिर्फ इन कर्मचारियों को स्थायी नौकरी का दर्जा मिलेगा बल्कि रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले लाभ, जैसे कि पेंशन, ग्रेच्युटी और पीएफ, भी उसी हिसाब से मिलेंगे।
किस केस से जुड़ा है यह फैसला?
यह मामला भगवान दास और 15 अन्य कर्मचारियों से जुड़ा है, जो कर्नाटक के नगर निगम में वोल्बमैन और पंप ऑपरेटर के पदों पर संविदा के आधार पर काम कर रहे थे। ये लोग पहले ठेका प्रणाली के तहत काम कर रहे थे, लेकिन बाद में सरकार ने 2006 में ठेका प्रणाली को खत्म करके उन्हें आउटसोर्स एजेंसी के जरिए कार्य पर रखा।
हालांकि, इसी दौरान कुछ और कर्मचारियों को 2006 में रेगुलर कर दिया गया था, जबकि भगवान दास जैसे अन्य संविदा कर्मियों को नजरअंदाज कर दिया गया। इस पक्षपात से नाराज होकर इन कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
सुप्रीम कोर्ट के उमा देवी केस का हवाला
इस केस में हाईकोर्ट ने 2006 में आए सुप्रीम कोर्ट के उमा देवी केस का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि लंबे समय से लगातार काम कर रहे संविदा कर्मचारियों को रेगुलर किया जा सकता है, बशर्ते उनकी भर्ती किसी वैध और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत हुई हो।
कोर्ट ने माना कि भगवान दास और बाकी कर्मचारियों ने नगर निगम के लिए नियमित सेवाएं दी हैं, और उन्हें रेगुलर नहीं करना अन्यायपूर्ण है।
क्या होगा इस फैसले का असर?
इस फैसले का असर सिर्फ कर्नाटक तक सीमित नहीं रहेगा। यह देशभर के लाखों संविदा कर्मचारियों के लिए एक नजीर बन सकता है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों में जहां संविदा व्यवस्था बड़े पैमाने पर लागू है।
अब जो कर्मचारी 10 साल या उससे ज्यादा समय से लगातार सेवाएं दे रहे हैं, वे इस फैसले को आधार बनाकर अपने हक के लिए कानूनी लड़ाई लड़ सकते हैं।
क्या मिलेंगे रिटायरमेंट के फायदे भी?
जी हां। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि रेगुलर माने जाने वाले कर्मचारियों को वही सारे लाभ मिलेंगे जो एक स्थायी कर्मचारी को मिलते हैं:
- पेंशन (Pension)
- ग्रेच्युटी (Gratuity)
- प्रॉविडेंट फंड (PF)
- लीव एनकैशमेंट
- और अन्य सभी रिटायरमेंट से जुड़े लाभ
यानी सिर्फ नौकरी स्थायी नहीं होगी, बल्कि भविष्य की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो जाएगी।
कौन-कौन कर सकता है इस फैसले का लाभ उठाना?
- जो कर्मचारी सरकारी विभाग, नगर निगम, पंचायत, जल निगम, बिजली विभाग, या स्वास्थ्य विभाग में संविदा पर वर्षों से सेवाएं दे रहे हैं।
- आउटसोर्स एजेंसी या ठेका प्रणाली के तहत कार्यरत कर्मचारी।
- जिनकी सेवा की निरंतरता बनी हुई है और किसी भी समय गैप नहीं पड़ा है।
- जो कर्मचारी किसी स्वीकृत पद के विरुद्ध काम कर रहे हैं।
अब संविदा कर्मचारी क्या करें?
अगर आप भी इसी श्रेणी में आते हैं, तो अब समय है कि:
- अपनी सेवा से संबंधित दस्तावेज इकट्ठा करें
- नियमित सेवा के 10 साल पूरे होने की पुष्टि करें
- वकील या कर्मचारी संगठन की मदद लें
- अगर जरूरत हो, तो उच्च न्यायालय में याचिका दायर करें
संविदा कर्मचारियों को लेकर आया यह कोर्ट का फैसला एक ऐतिहासिक कदम है। वर्षों से अनिश्चितता में जी रहे लाखों कर्मचारियों को इससे स्थायित्व, सम्मान और भविष्य की सुरक्षा मिलेगी। अब वक्त है अपनी आवाज बुलंद करने का, क्योंकि 10 साल की सेवा कोई छोटी बात नहीं होती।
अगर आप या आपके जानने वाले किसी विभाग में संविदा पर काम कर रहे हैं, तो उन्हें इस फैसले की जानकारी जरूर दें। हो सकता है, यही फैसला उनके जीवन का सबसे बड़ा मोड़ बन जाए।